तुम जहां हो वहीं रहते हो,तुम जैसे हो वैसे ही रहते हो। कोई हिमालय भाग जाने की जरूरत नहीं है। घर-परिवार वैसा ही रहेगा, किसी को खबर नहीं होगी और ध्यान घट जाएगा।यह अपने भीतर की बात है अब भी तुम रहोगे, परन्तु अतिथि की तरह।काम करोगे, परन्तु कोई चिंता नहीं रहेगी। बस एक बार यह दिखाईं पड़ जाए कि सब खेल है,हम सब एक नाटक के पात्र हैं इसके अलावा कुछ भी नहीं।